आयुष विभाग आयुर्वेद को बढ़ावा दे रहा फिर आयुर्वेद चिकित्सकों को क्यों हतोत्साहित कर रहा- डॉ शुभम त्रिपाठी सफेद कोट है जिनका परिधान, उन्होंने किया रक्तदान
उज्जैन। आयुर्वेद जूनियर डॉक्टर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल के पांचवे दिन जूनियर डॉक्टर्स ने आगर रोड़ स्थित धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में रक्तदान किया। 30 से अधिक छात्र-छात्राओं ने यहां अपना खून देकर सरकार से न्याय मांगा। साथ ही महाविद्यालय परिसर में काली पट्टी बांधकर धरना प्रदर्शन किया। डॉ. शुभम त्रिपाठी ने कहा कि एक ओर विभाग आयुर्वेद को बढ़ावा देने का दावा कर रहा है वहीं दूसरी ओर आयुर्वेद चिकित्सकों को दबा कर रखा जाता है, उन्हें क्यों मध्यप्रदेश प्रदेश आयुष विभाग अनदेखा कर रहा है। विगत 5 दिनों से चल रही हड़ताल में विभाग ने किसी प्रकार का संज्ञान नही लिया। जिसकी वजह से जूनियर डॉक्टर्स ड्यूटी पर नही है और चिकित्सालय के मरीजों को परेशानी हो रही है तथा संख्यां में कमी भी हो रही है। म.प्र. आयुर्वेद छात्र संगठन के अध्यक्ष लोकेंद्रसिंह यादव ने बताया कि प्रदेश के उज्जैन सहित ग्वालियर, भोपाल, रीवा, बुरहानपुर, इंदौर स्थित 6 शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालयों मे छात्रों ने अपनी पांच सूत्रिय मांगो को लेकर महाविद्यालय एवं चिकित्सालय परिसर में रक्तदान शिविर चलाया। इस दौरान कोई भी छात्र कक्षाओं मे नहीं जा रहे है, इंटर्न, एवं जूनियर डा. ने भी अपना काम बंद कर दिया है। 80 बार ज्ञापन के बाद भी सरकार ने 5 दिन से चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल में कोई ध्यान नही दिया है। जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि मांगे जब तक पूरी नही होती हड़ताल जारी रहेगी और जूनियर डॉक्टर्स भूख हड़ताल और आमरण अनशन तक भी जाएंगे। आयुर्वेद के जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि आयुर्वेद इंटर्न, गृह चिकित्सक एवं स्नातकोत्तर छात्रों की शिष्यावृत्ती, मानदेय एलोपैथी के इंटर्न, जूनियर रेसिडेंट एवं स्नातकोत्तर छात्रों के समतुल्य कर वार्षिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाए। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से आयुष शाखा को पृथक कर भोपाल स्थानान्तरित किया जावे एवं निकट भविष्य मे पृथक रुप से आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाए। लोक सेवा आयोग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की भर्ती प्रतिवर्ष निकाली जाए एवं इस वर्ष आयोजित की जाने वाली परीक्षा से संविदा कर्मियों को दिया जाने वाला 15 प्रतिशत अंक को हटाया जाए। जनसंकल्प 2013 मे घोषित 1000 आयुष औषधालयों को शीघ्र ही खोला जाए। आयुर्वेद छात्रों को भी सशर्त आत्यायिक चिकित्सा का अधिकार मिले।