इस संक्रमण काल में एक अपील आप सबसे...
मत निकल, मत निकल, मत निकल... शत्रु ये अदृश्य है विनाश इसका लक्ष्य है कर न भूल, तू जरा भी ना फिसल मत निकल, मत निकल, मत निकल हिला रखा है विश्व को रुला रखा है विश्व को फूंक कर बढ़ा कदम, जरा संभल मत निकल, मत निकल, मत निकल उठा जो एक गलत कदम कितनों का घुटेगा दम तेरी जरा सी भूल से, देश जाएगा दहल मत निकल, …
बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनी विद्वता की छाप समाज के हर क्षेत्र पर छोड़ी
सामाजिक न्याय की ताकतें जब अपने अधिकार की बात करती हैं तो वह भी शुद्ध राष्ट्रवाद है। इससे देश की एकता व अखंडता कहीं ज्यादा सुढृढ़ होती है। राष्ट्रवाद में हजारों वर्ष पुरानी जाति-व्यवस्था, छुआछूत, भेदभाव और अन्यायपूर्ण व्यवस्था का कोई स्थान नहीं चाहिए। समाज को समरसता के सूत्र में पिरोकर उसे संगठित और…
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