दिव्य कलशयात्रा के साथ 108 कुण्डीय यज्ञ प्रारंभ कलश यात्रा के माध्यम से दिया संदेश - यज्ञ योग्य भाव बुद्धि, कर्म का सृजन करो, यजन करो यजन करो


उज्जैन। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में माकड़ौन में विशाल कलश यात्रा के साथ पांच दिवसीय जिला स्तरीय 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ आरंभ हुआ। गायत्री माता की जय, यज्ञ भगवान की जय, युगाधिपति भगवान महाकाल की जय के गगनभेदी नारों से नगर गूंज रहा था। हजारों महिलाओं द्वारा सिर पर देव कलश धारण करके ग्राम प्रदक्षिणा की गई। महिलाओं द्वारा भजन और प्रेरणा गीत गाये गये जा रहे थे जिनके भाव थे -यज्ञ योग्य भाव बुद्धि, कर्म का सृजन करो! यजन करो ,यजन करो। अर्थात यज्ञ योग्य भाव और बुद्धि, कर्म का सृजन कर यज्ञ करने के लिए आइए। अंधकारग्रस्त, विवेक शून्य और अस्त व्यस्त जीवन में नयी दृष्टि भरने के लिए यज्ञ किया जा रहा है। अवसर का लाभ लीजिए जैसा भाव भरा आमंत्रण भी यात्रा दे रही थी। वहीं पुरुष अपने सिर पर सद्गमय धारण कर यात्रा में चल रहे थे। जिसे स्वाध्याय के लिए याजकों के घरों में स्थापित किया जाएगा।
432 युवा दम्पति होंगे पहली पारी के यजमान आज शनिवार सुबह 8 बजे से देव आवाहन, पूजन से देव परिवार विस्तार 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ प्रारंभ होगा। इस यज्ञ की विशेषता है कि प्रत्येक कुण्ड पर चार युवा यजमान दंपत्ति पहली पारी में प्रतिदिन देव पूजन करेंगे। इस प्रकार 432 युवा दंपत्ति 4 दिन तक यज्ञ से अनुप्राणित होकर गृहस्थ धर्म के लिए प्रेरित होकर समाज निर्माण की रीढ़ बनेंगे। अभी तक देखने में आता था कि बूढ़े पुराने लोग यज्ञ में आकर आहुतियां देते थे। लेकिन इस यज्ञ ने राष्ट्र की मांग के अनुसार होनहार युवा सौपने दायित्व लिया है। 432 युवा दंपतियों को आदर्श गृहस्थ बनाने का काम शांतिकुंज हरिद्वार के विद्वानों के प्रवचनों और यज्ञशाला के दिव्य वातावरण में किया जाएगा। यज्ञ के साथ प्रतिदिन सभी संस्कार भी कराए जाएंगे। विशेष आयोजन आज 23 अप्रैल को केन्द्रीय जेल भेरुगढ़ में गायत्री महामंत्र ध्वनि बजने का शुभारंभ सुबह 10 से 11 बजे के बीच किया जाएगा।