मन में बोझ था, गुरूदेव के दर्शन किए तो मन हल्का हुआ श्री वीर विश्व अर्द्ध जन्म शताब्दी कार्यक्रम में बोले, उत्तराखंण्ड के मुख्यमंत्री धामी

अहिंसा सम्मेलन में सनातन-जैन संतों के समक्ष उठी पवित्र नगरी घोषित करने की मांग नगर के 80 समाजों के अध्यक्ष व पदाधिकारी का हुआ विषेष सम्मान


उज्जैन। मैं देवभूमि उत्तराखंड से आकर गुरुदेव के दर्शन कर अभिभूत हूं। मन में बोझ था लेकिन आज दर्शन करते ही मन हल्का हो गया। उत्तराखंड चुनाव के पहले ही गुरूदेव ने कह दिया था कि जन्मोत्सव के कार्यक्रम में आप दोबारा मुख्यमंत्री बनकर ही आएंगे। उनकी वाणी सत्य हुई और मैं दोबारा सीएम बनने के बाद आप सभी के बीच हूं और मेरे जीवन में ऐसे गुरुदेव मिले इससे बडा सौभाग्य और क्या हो सकता है। यह भावुक उद्बोधन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने श्री वीर विश्व अर्द्ध जन्म शताब्दी महोत्सव के दौरान बुधवार को कहीं। वे मप्र शासन के राजकीय अतिथि, जैनाचार्य श्री विश्वरत्न सागर सूरीश्वर जी महाराज के दर्शन वंदन कर आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए पधारे थे। आचार्यश्री मृदुरत्नसागर सूरिजी, कीर्ति रत्न सागरजी, तीर्थरत्न सागरजी, उत्तम रत्न सागरजी आदि साधु-साध्वी मंडल उपस्थित थे।



धामी बोले कि हरिद्वार में आचार्यश्री के चातुर्मास दौरान एक बार बगैर किसी कार्यक्रम के सीधे आचार्यश्री से मिलने का अवसर मिला। वे पैदल विहार कर मेरे देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास पर भी पधारे थे, काफी दूर मैं भी चलकर उनके साथ आया। तब से उनकी असीम कृपा व जुडाव हो गया। उन्होंने मुझे धर्म प्रेरणा भी दी, जिससे मैं उत्तराखंड वासियां की सेवा में लगा हूं। श्री धामी के साथ उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेष जोशी भी मंचासीन थे। इस अवसर पर श्री़ ऋषभदेव छगनीराम पेढी ट्रस्ट व महोत्सव समिति द्वारा दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर उनका सम्मान किया गया। प्रकाशचंद संघवी सिरोड़ीवाले, रखबचंद बीजावत, राजेश डगवाला, महोत्सव संयोजक जयंतीलाल तेलवाला, गौतमचंद धींग, श्री ऋषभदेव पेढ़ी ट्रस्ट अध्यक्ष सौरभ सिरोलिया, सचिव नरेंद्र जैन, कार्यक्रम समन्वयक अभय जैन भैया, सह संयोजक प्रसन्न जैन, डॉ. राहुल कटारिया, पुनीत जैन, संजय खलीवाला आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। संचालन विनोद आचार्य व संगीतकार त्रिलोक मोदी ने किया। यह जानकारी महोत्सव संयोजक  जयंतीलाल जैन तेलवाला व डॉ. राहुल कटारिया ने दी। अहिंसा महासम्मेलन में उठी पवित्र नगरी की मांग महोत्सव अंतर्गत बुधवार सुबह 10 बजे से सनातन धर्म के साधु-संतों की उपस्थिति में अहिंसा महासम्मेलन हुआ। सम्मेलन संयोजक अनिल जैन कालूहेड़ा ने बताया कि इसमें धर्म, संस्कृति, सनातन परंपराओं से लेकर अन्य बिंदूओं पर मंथन हुआ। जैन समाज के आमंत्रण पर नगर कें विभिन्न 80 समाज के अध्यक्ष, सचिव व अन्य पदाधिकारी जुटे, जिनका बहुमान किया गया। सम्मेलन में उपस्थित बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने कहां की सनातन धर्म एक वटवृक्ष है, जिनकी अनेक खाए है। अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर हुए है तो महर्षि वाल्मिकी भी हुए है। संतों के प्रति सभी में श्रृद्धा रहती है। लेकिन आज कुछ संत ही संतों में भेद समझ रहे है, लेकिन यह अनुचित है। आज इस कार्यक्रम में सभी संतों का बुलाकर सामाजिक समरसता व सनातनी धर्मरक्षण का संदेश दिया गया है। - महोत्सव को महंत विशालदास जी महाराज ने कहां की जो हिंसा देखने मात्र से द्रवित हो जाता है वह हिंदू है। प्राणी मात्र के प्रति रक्षा का भाव ही अहिंसा है। - महामंडलेश्वर शैलेषानंद गिरी ने एकेश्वरवाद पर अपनी बात कहीं। महामंडलेश्वर रामकृण आचार्य ने भी संबोधित किया। - गायत्री मंदिर के आचार्य बुद्धिप्रकाश शास्त्री ने जनप्रतितिनिधियों की और इषारा करते हुए कहां कि हम सालों से सुन रहे है की उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित किया जाएगा। लेकिन यह होगा कब, आज इस अहिंसा सम्मेलन से यह आवाज उठे और जिम्मेदारों तक पहुंचें। इसके जवाब में उत्तर विधायक पारस जैन ने कहां की हम भी चाहते यह हो, लेकिन कई बार कानूनी उलझने आ जाती है। लेकिन आज इस मंच से भरोसा दिलाता हूं की हम सब मिलकर इसके लिए आवाज बुलंद करेंगे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक राजमोहनजी, विभाग संघ संचालक बलराज भट्ट, विभाष उपाध्याय, ओम जैन आदि मंचासीन थे।
- समारोह में पहुंचे सांसद अनिल फिरोजिया एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने आचार्यश्री से आर्शीवाद लिया। डॉ. यादव ने कहा कि सनातन-जैन धर्म संस्कृति कि समानताओं को प्रतिपादित करते हुए कहां की हमारी संस्कृति उत्सवधर्मी होकर उल्लास व उमंगता की धनी है।