अतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर छाये पत्रकार पंडित मुस्तफा आरिफ
रतलाम से केन्या तक पत्रकारिता का सफर तय करने वाले देश के वरिष्ठ पत्रकार पंडित मुस्तफा आरिफ 20 मई को न केवल अपने जीवन के 72 बसंत पूरे कर रहै है, अपितु पत्रकारिता के 60 वर्ष पूर्ण कर रहै है। 1962 मे 12 वर्ष की उम्र मे आपने नूतन माध्यमिक विद्यालय स्तर पर बच्चो के पाक्षिक अखबार उपहार का प्रकाशन कर दिया था। 20 मई 1950 को रतलाम मे जन्मे पंडित मुस्तफा आरिफ रतलाम के व्यापारिक बोहरा परिवार से संबंधित है, रतलाम के पूर्व विधायक स्वर्गीय श्री अकबर अली आरिफ के ज्येष्ठ पुत्र है।
रतलाम, उज्जैन और दिल्ली मे उनकी लेखन ने उन्हे देश की पत्रकारिता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाया। भारत सरकार की त्रैमासिक पत्रिका सद्भावना संदेश के प्रधान संपादक प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल मे रहे, उसके बाद मे वो नैरोबी मे केन्या के राजनीतिक गठबंधन केन्या नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के डायरेक्टर मिडिया और साउंड एशिया एफएम के डायरेक्टर प्रोग्राम बनाए गए। रतलाम के औद्योगिक विकास के मद्देनजर 1972 मे पंडित मुस्तफा ने लियो क्लब के बेनर तले पत्रिका साहित्य उद्योग संगम का प्रकाशन किया। उज्जैन के इतिहास मे भी उज्जैन के औद्योगिक विकास के लिए 125 दिन तक का धरना-प्रदर्शन चौथा संसार के बेनर तले उल्लेखनीय है। उज्जैन मे अपने पारिवारिक उद्योग को सहायता करे के उद्देश्य से 1976 मे उज्जैन चले गये। 1976 मे ही उज्जैन से गीत संगीत की त्रैमासिक पत्रिका लतामन का प्रकाशन स्वर सम्राज्ञी स्वर्गीय लता मंगेशकर के परामर्श और मार्गदर्शन मे किया। स्वर्गीय श्री बप्पी लहरी भी पत्रिका से स्तंभकार के रूप मे जुड़े थे। शासन की आपातकालीन नीतियो के कारण ये प्रोजेक्ट आगे नही चल पाया।
अपनी पत्रकारिता मे रूची और लायंस क्लब उज्जयिनि की पत्रिका के संपादन और अनुभव के कारण इंदौर से प्रकाशित फ्रि प्रेस जर्नल ने उन्हे उज्जैन का संवाददाता नियुक्त कर सक्रिय पत्रकारिता से जोड़ लिया। 1986 मे फ्रि प्रेस मे तत्कालीन संभागायुक्त की सिंचाई विभाग के साथ मिलकर की गई अनियमितता के रहस्योद्घाटन के कारण फ्रि प्रेस छोड़ना पड़ा, तत्कालीन मुख्य मंत्री मोतीलाल वोरा ने जांच के आदेश दिए, जिसकी रिपोर्ट सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल मे विधान सभा मे रखी गई और पंडित मुस्तफा के समाचार को प्रमाणिक और सत्य पाया गया। मध्यप्रदेश के इतिहास मे ये पहला अवसर था जब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरो ने प्रकाशन के विरुद्ध एक माह तक काली पट्टी बांधकर काम किया। 1988 मे इंदौर से सुरेंद्र संघवी और पंकज संघवी के परिवार ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय श्री अर्जुन सिंह के संरक्षण मे दैनिक चौथा संसार का प्रकाशन प्रारंभ किया और पंडित मुस्तफा को उज्जैन का ब्यूरो प्रमुख बनाया गया। 1998 मे उज्जैन से साध्य दैनिक अमर श्याम के स्वयं के प्रकाशन तक वे चौथा संसार से जुड़े रहै।
1990 से 2001 तक की अवधि आपकी पत्रकारिता का स्वर्णिम काल रही। 1992 के सिंहस्थ महापर्व के कवरेज की उपलब्धियां आज भी पंडित मुस्तफा की पत्रकारिता की अमूल्य दस्तावेज है। जहां भारत के प्रमुख संतो से जिनमे चारो शंकराचार्य, स्वामी सत्यमित्रानंद जी, स्वामी विश्वात्मानंद, स्वामी वामदेव महाराज, अग्नि पीठाधीश्वर तत्कालीन आचार्य से घनिष्ठ संबंध बने और आशीर्वाद मिला, वही आसाराम बापू के प्रवचनो की ओशो के प्रवचनो की प्रतिदिन तुलना के प्रकाशन ने उन्हे सिंहस्थ के हर डेरे तंबू मे लोकप्रिय कर दिया और अकेले कुंभ मेले मे प्रसार संख्या 10000 को पार कर गई। इसी मेले मे विश्व हिंदु परिषद के रामजन्म भूमि निर्माण को लेकर कई गई चर्चा के चर्चित कवरेज के कारण बाबरी ध्वस्त कांड के गवाह के रूप मे शामिल किया गया। बैकुंठ वासी ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी दीव्यानंद तीर्थ और ब्रह्मलीन अग्नि पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी प्रकाशानंद जी महाराज ने अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के अधिवेशन मे इसी सिंहस्थ मे पंडित और परशुराम श्री की उपाधि से विभूषित किया। 2004 मे शंकराचार्य प्रतिष्ठानम वाराणसी के उज्जैन सिंहस्थ मे आयोजित विश्व हिंदु सम्मेलन मे योगदान के लिए उन्हें, संस्थान के अध्यक्ष स्वामी वासूदेवानंद सरस्वती ने अपने 25 प्रमुख सहयोगियो की सूचि मे प्रथम स्थान पर अपने प्रकाशित धर्मग्रंथ मे उल्लेखित किया।
2001 मे उज्जैन से वो दिल्ली चले गये और हिंदी और अंग्रेजी मे साप्ताहिक पत्रो का प्रकाशन प्रारंभ किया। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री डाक्टर सत्यनारायण जटिया के आमंत्रण पर आप उनके प्रेस सचिव के रूप मे कार्य करने का अवसर मिला। इसी दौरान भारत सरकार की त्रैमासिक पत्रिका सद्भावना संदेश की हिंदी ऊर्दू की द्विभाषीय के प्रकाशन का दायित्व प्रधान संपादक के रूप मे निभाया। 2007 मे आपकी नियुक्ति नैरोबी केन्या मे केन्या नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के डायरेक्टर मिडिया के रूप मे हुई। वर्तमान मे हाल ही मे आप दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हुए है। और स्वतंत्र लेखक और पत्रकार के रूप मे सक्रिय है।
प्रारंभ से ही रतलाम के दैनिक आलोकन और दैनिक प्रसारण से लेखक और साहित्यकार के रूप मे जुड़े, पंडित मुस्तफा के दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके है। पहल काव्य संग्रह 'ये दिल मांगे और' का प्रकाशन साहित्य निकेतन बिजनौर से हुआ था, जिसे तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने 20 दिसंबर 2000 को संसद भवन के अपने कार्यकाल मे लोकार्पित किया। अटलजी पर 15 अगस्त 2003 से 25 दिसंबर 2003 तक प्रतिदिन एक कविता लिखने का अभियान चलाकर काव्य संग्रह 'धरती पर है अटल महान' उनके सम्मुख पेश किया। वर्तमान मे 10000 पद 18 का कुरान से प्रेरित महागीत ईश्वर प्रेरणा आपकी इस्लाम और हिंदी साहित्य जगत को एक बड़ी देन है। साथ ही यूट्यूब पर आपके चैनल पंडित मुस्तफा आरिफ पर रतलाम मे आयोजित 1950 से 1980 तक के मुशायरो की नियमित प्रस्तुति ईश्वर प्रेरणा के पदो के साथ प्रतिदिन करते है।