टीपू सुल्तान के 223वां शहीदी दिवस पर शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि कर मनाया

गीदड़ की 100 दिन की जिंदगी से शेर की 1 दिन की जिंदगी  बेहतर है- टीपू सुल्तान


                          

उज्जैन। शेरे मैसूर सुल्तान फतेह अली खान टीपू सुल्तान का 223वां शहीदी दिवस 4 मई को शहीद पार्क स्थित शहीद स्मारक पर मनाया गया।
संस्था अध्यक्ष पंकज जायसवाल एवं उपाध्यक्ष समीर उल हक ने बताया कि सर सैयद अहमद वेलफेयर सोसाइटी द्वारा शहीद पार्क पर टीपू सुल्तान एवं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी वीरों को शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की गई एवं 2 मिनट का मौन रखकर शहीदों का स्मरण किया गया। टीपू सुल्तान एवं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी वीरों को चेतन ठक्कर, रेहान शफ़क़, खोजेमा चांदा वाला, राजेश अग्रवाल, फैज अहमद जाफरी, आबिद खान, शरीफ मैकेनिक, हाजी मोहम्मद अली रंगवाला, हाजी फजल बैग, राकेश उपाध्याय, अनुदिप गंगवार, अशरफ पठान, डॉ गुलरेज गौरी, मोहम्मद रईस, संजय जोगी, दीपक पांडे, मध्यप्रदेश हज कमेटी के पूर्व सदस्य हाजी इकबाल हुसैन, सचिव धर्मेंद्र राठौर, समाजसेवी मोहम्मद इकबाल उस्मानी ने शहीदों का स्मरण किया। उपरोक्त जानकारी उप संयोजक हाजी शेरू राइन ने दी।  समाजसेवी शाकिर शेख ने अपने उद्बोधन में कहा टीपू सुल्तान अंग्रेजी मंसूबे में सबसे बड़ी रुकावट थे। अंग्रेजी हुकूमत के रास्ते में सबसे बड़ा कांटा थे, अंग्रेजों ने तय कर लिया था जब तक टीपू सुल्तान जीवित है हमारा हिंदुस्तान पर कब्जा नहीं हो सकेगा। अंग्रेजों ने महाराजा त्रवंकोर, पेशवा और निजाम को अपने साथ मिला लिया। टीपू सुल्तान के पिता नवाब हैदर अली ने भी अंग्रेजों को अनेक युद्धों में धूल चटाई। टीपू सुल्तान एक कुशल सेनानायक एवं न्याय प्रिय प्रशासक थे। राकेट लांचर और मिसाइल का आविष्कार सबसे पहले हिंदुस्तान में आपने किया था। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने भी देश का पहला मिसाइल मैन उन्हें बताया था। महामहिम राष्ट्रपति कोविंद ने भी टीपू सुल्तान को न्याय प्रिय और कुशल प्रशासक बताया था। अंग्रेजों ने जानबूझकर आप की छवि को धूमिल करने के लिए उनको एक दुष्ट शासक के रूप में पेश किया इसके विपरीत आप एक कुशल एवं न्याय प्रिय शासक थे। देश में अनेक कुरीतियों को खत्म करवाया, अछूत महिलाओं को स्तन पर वस्त्र ढकने का अधिकार टीपू सुल्तान ने दिलाया। आपने 800 राजाओं के खिलाफ इस अवमानवीय प्रथा को खत्म करने के लिए युद्ध लड़ा। इस प्रथा को खत्म कराने में आपके रास्ते में जो भी आया उसको आपने सजा दी। आपने प्रजा के लिए अनेक सराहनीय कार्य किए जिसमें कावेरी बांध का निर्माण में भी आपकी अहम भूमिका रही। आप एक न्याय प्रिय प्रशासक थे अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो नीति के अंतर्गत आपकी छवि को धूमिल किया। टीपू सुल्तान अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए 4 मई 1799 को श्रीरंगापटनम में वीरता पूर्वक लड़ते हुए शहीद हो गए। टीपू सुल्तान की शहादत के बाद अंग्रेज कर्नल ने कहा था कि अब हिंदुस्तान हमारा है टीपू सुल्तान की शहादत के मात्र 58 साल बाद ही पूरे हिंदुस्तान पर अंग्रेजो का कब्जा हो गया सिर्फ वही रियासतें बची थी जिन्होंने अंग्रेजों के साथ हाथ मिला लिया था। अंग्रेजों ने जब महाराजा त्रवंकोर, पेशवा एवं निजाम की मदद से श्रीरंगापटनम में आपके किले को घेर लिया तो आप के सलाहकारों ने आपको राय दी थी कि आप सुरंग से निकलकर सुरक्षित यहां से निकल सकते हैं लेकिन आपने कहा था कि 100 दिन की गीदड़ की जिंदगी से शेर की 1 दिन की जिंदगी बेहतर है और आपने वीरता पूर्वक मुकाबला किया और आप वीरगति को पा गए। आपकी सेना एवं मंत्री मंडल में हिंदू मुस्लिम समानता से शामिल थे। टीपू सुल्तान को अगर आप खुली आंखों से देखेंगे तो एक न्याय प्रिय और कुशल प्रशासक के रूप में आप उन्हें याद कर सकते हैं और अगर आंखों पर पट्टी बांधकर देखेंगे तो जैसा चाहे आप को अधिकार है।
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