उज्जैन। आज बोहरा समाज के 53वे धर्मगुरु डॉ सैयदना अलीकदर मुफद्दल सैफुद्दीन साहब का अंग्रेजी हिसाब से आज आपका जन्मदिन है देश-विदेश में बोहरा समाज आपका जन्मदिन मनाएगा। आइए जानते हैं डॉ. सैयदना साहब के जीवन के बारे में...। डॉ. सैयदना आलीकदर मुफद्दल सैफुद्दीन साहब का जन्म 20 अगस्त 1946 को सूरत में हुआ था। इसी दिन शब-ए-कद्र होने से दादाजी दिवंगत सैयदना ताहेर सैफुद्दीन साहब ने उनका नाम आलीकदर मुफद्दल रखा। सैयदना साहब ने आध्यात्मिक ज्ञान पिता दिवंगत डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब के मार्गदर्शन में लिया। अल अजहर यूनिवर्सिटी से ग्रेज्युएशन की डिग्री प्राप्त की। सैयदना साहब का विवाह 1 जनवरी 1970 को हुआ। उन्होंने अपने पिता के साथ विभिन्न देशों की यात्राएं की। इन यात्राओं में दुनियाभर की प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की। डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब ने उन्हें अमीरुल हज (हज प्रमुख) नियुक्त किया। यमन यात्रा के दौरान उन्होंने वहां सैयदना हातिम बिन इब्राहीम साहब की दरगाह के निर्माण की नींव रखी। 2011 में डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब की तबीयत खराब होने से लंदन में उन्हें 53वां दाई मुतलक नियुक्त किया गया। जनवरी 2014 में उनके निधन के बाद सैयदना साहब ने उनकी जगह संभाली।
103.50 करोड़ रुपए दिए
डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब की 103वीं सालगिरह पर उन्होंने समाज की संस्था (जहां से बिना ब्याज कर्ज मिल जाता है) में 103.50 करोड़ रुपए दिए थे। समाज में कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे इस उद्देश्य से सैयदना साहब ने
फैज-उल-मवाइद-उल-बुरहानिया की स्थापना की
पर्यावरण जागरूकता के लिए चलाए अभियान डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने बुरहानी फाउंडेशन के तहत पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए पौधरोपण, पक्षियों को सहेजने के लिए विभिन्न अभियान चलाए। समाज के आयोजनों में भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए भी नियम जारी किए गए। अब आयोजनों में एक मीठा व्यंजन और एक नमकीन व्यंजन ही रखा जाता है।
सैफी बुरहानी उत्थान ट्रस्ट
मुंबई के भिंडी बाजार में डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब ने सैफी बुरहानी उत्थान ट्रस्ट (स्क्चञ्ज)की नींव रखी थी। यहां से जीर्ण-शीर्ण मकानों को हटाते हुए नई इमारतें बनाई जाएगी। इसका काम शुरू हो गया है। दिवंगत सैयदना साहब की दरगाह के आसपास ही यह प्रोजेक्ट चल रहा है। करीब 3200 परिवारों और 1250 व्यवसायियों के पुनरुत्थान के लिए कुछ ही वर्षों में प्रोजक्ट को पूरा किया जाएगा।