महिमामय महाकाल: श्री महाकालेश्वर की यशगाथा- पंडित मुस्तफा आरिफ


महाकाल की महिमा अपरंपार है। ऐसा अनेक बार हुआ हैं कि महाकाल मेरे द्वार अपने आप पहुंचते हैं। महाकाल लोक के लोकार्पण में मैं साक्षात हाजिर न हो सका, लेकिन फिर भी हाजिर रहा, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अमृत वाणी का रसास्वादन घर बैठे किया। और उसी दिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने 

आदिकाल से लेकर महाकाल लोक के लोकार्पण तक की यात्रा अविस्मरणीय चित्र लोक "महिमामय महाकाल" का लोकार्पण कर एक प्रति स्मृति चिन्ह के साथ श्री नरेंद्र मोदी को भेंट की। और एक प्रति मुझ अकिंचन तक पुस्तक के प्रबंध संपादक मेरे अनन्य स्नेही श्री पुष्कर बाहेती ने मुझे भेंट की, ये सुखद संयोग पहला नहीं है। अनेक दृष्टांत हैं, प्रार्थना करें कि इन उद्धरणों से युक्त मेरी पुस्तक 'शिव महिमा' शीघ्र ही प्रकाशित हो। आमीन


पुस्तक का सूत्र वाक्य है 'महिमामय महाकाल' ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर की यशगाथा का कीर्तन। पुस्तक तक की भूमिका स्वयं मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने लिखी है। उन्होने लिखा है कि श्रद्धालुओ और विद्वानों की भावना के अनुरूप नवनिर्मित परिसर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पित किए जाने के अवसर पर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 'महिमामय महाकाल " का प्रकाशन कर महाकाल महाराज के भक्तों को उपलब्ध कराने का सुंदर कार्य किया गया हैं।


अपनी भूमिका में श्री चौहान ने महाकालेश्वर और महाकाल महाराज की महिमा का संक्षिप्त इतिहास और महिमा का सारगर्भित वर्णन किया है। उन्होने लिखा है कि अवंतिका नाम से सप्तपुरियों में प्रतिष्ठित, राजाधिराज श्री महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन अनादिकाल से धर्म, संस्कृति एवं आध्यात्म की पुण्यभूमि के रूप में विश्व वंदनीय हैं। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख हैं। दक्षिणमुखी मृत्युंजय भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होकर विश्व सृष्टि का संचालन करते है। उन्होने अपनी भूमिका मे निसंदेह गागर में सागर भर कर पुस्तक परिचय का अति प्रशंसनीय कार्य किया हैं, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम हैं। उनकी भुमिका स्वयंमेव महिमामय महाकाल हैं।


ज्योर्तिलिंग स्थापना के सूत्रपात से पुस्तक का शुभारंभ करते हुए लिखा है: श्री महाकाल स्वयंभू ज्योर्तिलिंग हैं। शिव पुराण में कथा है कि दूषण नामक दैत्य के अत्याचार से जब उज्जयीनि के निवासी त्रस्त हुए और भगवान शिव की वंदना की तो ज्योति के रूप में शिव प्रकट हुए। दैत्य दूषण का संहार किया और भक्तो के आग्रह पर लिंग के रूप में उज्जयीनि में प्रतिष्ठित हौ गए। चित्रमय महिमामय महाकाल का प्रारंभ उज्जयीनि स्वर्ग का आलोकित खंड संक्षिप्त परिचय से हुआ है, सामने के पृष्ठ पर एक सुन्दर साधारण शिवलिंग का चित्र प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक के साथ है: आकाशे तारकं लिंग पाताल हाटकेश्वरम। भूलोके च महाकालो: लिंगत्रेय नमोस्तुते।। उज्जयीनि का परिचय  देते हुए लिखा गया है उज्जैन पूरी दुनिया में इस अर्थ में अलग है कि आकाश में उज्जैन को जो मध्य स्थान प्राप्त है, तदनुसार आकाश और धरती के केंद्र बिंदू पर यह स्थित हैं। उज्जयीनि का अर्थ हैं उत्कर्ष के साथ जय घोष करने वाली नगरी। काल गणना का प्राचीन केंद्र, श्रीकृष्ण की विद्या स्थली, भृतहरी की तपो भूमि, विक्रमादित्य की न्याय नगरी और सबसे ऊपर तंत्र की भूमि और शक्तिपीठ हैं यह भूमि।


महिमामय महाकाल के समग्र वर्णन की संक्षिप्त प्रस्तुति को ध्यान में रखकर चित्र के माध्यम से सार्थक संदेश देने के प्रयास ने इस पुस्तक को महत्वपूर्ण और दर्शनीय बना दिए है। जब से ये पुस्तक मेरे घर लाया हूं कमोबेश 15 परिचित पुस्तक का दर्शन करने मेरे घर ऐसे आएं है जैसे महाकाल महाराज की सवारी मेरे घर आकर रुकी हो। बस यहीं विलक्षण घटना महिमामय महाकाल के शीर्षक को सार्थक करने के लिए पर्याप्त है। अन्य चित्रित विषयो में मृत्युंजय महाकालेश्वर, पृथ्वी के नाभि केंद्र पर विराजे महाकालेश्वर, मनोहारी महाकाल के विभिन्न श्रृंगारित श्रृंगारित स्वरूप, ज्योर्तिलिंग और ज्योति पर्व, नाथ के निराले नंदी,भस्म आरती प्रकिया, राजाधिराज श्री महाकाल की सवारी का लोकतंत्र उत्सव तथा उज्जैन के 84 महादेव मंदिर सहित, तीज-त्यौहार और पर्व का वर्णन और महत्व सहित अनेक आवश्यक विषयों का समावेश है।bमहाकाल मंदिर में सृजन, सौंदर्य और सुविधाओं के एतिहासिक और अद्भुत नव संगम का नाम हैं "महाकाल लोक", महिमामय महाकाल शीर्षक के प्रकाशन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य भी यहीं है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को महाकाल लोक की संकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए जहां याद किया जाएगा, वहीं श्री शिवराजसिंह चौहान को महिमामय महाकाल के प्रकाशन मे अभूतपूर्व योगदान के लिए नहीं भुलाया जा सकेगा। इस पुस्तक में महाकाल लोक का विस्तार से सचित्र विवरण हैं। जिसके अंतर्गत नंदी प्रवेश द्वार से लेकर संपूर्ण निर्मित प्रस्तुतियों का वर्णन सचित्र है, जिसमें शिव अवतार वाटिका, रूद्र सागर का काया कल्प, त्रिपुरारी महाकाल, सत्यम शिवम् सुंदरम, महाकाल पथ, देवी और कार्तिकेय, सर्व सुरक्षित महाकाल लोक, आवास और भोजनशाला, हलाहल पान, अनुपम त्रिवेणी संग्रहालय आदि का समावेश हैं। महिमामय महाकाल" अनादिकाल से लेकर महाकाल लोक के लोकार्पण के चित्र वृतांत का एक संग्रहणीय एल्बम हैं। जिसका प्रकाशन श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति ने किया है, लेखन और संपादन के दायित्व का बहुत ही शानदार ढंग से डॉ. विवेक चौरसिया ने किया हैं। प्रकाशन और मुद्रण के क्षेत्र में पुष्कर बाहेती की अपनी ख्याति है, उनके प्रबंधन संपादन में एक संग्रहणीय पुस्तक बन पाई है। आकल्पन और चित्रांकन क्रमशः अक्षय आमेरिया और अनिकेत सेन ने किया है।

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