काला अक्षर इंसान बराबर.....-अतुल मलिकराम (समाजसेवी)

 


कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने लगे, जिनका उपयोग हम इंसान अक्सर अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए किया करते हैं। एकाएक ही मन अलग दिशा में चला गया कि इंसान अपनी बात को मजबूत करने के लिए बेज़ुबान तक को भी नहीं छोड़ता है। ऐसे हजारों मुहावरे भरे पड़े हैं, जिन्हें बोलते समय इन निर्दोषों को हम क्या कुछ नहीं कह जाते हैं। और आज से नहीं, कई वर्षों से ही कहते चले आ रहे हैं। फिर मन में एक टीस उठी कि जिन जानवरों की आँखों में से कई दफा आँसू छलक पड़ते हैं, तो उन्हें ठेस भी तो पहुँचती ही होगी न, बोल नहीं सकते हैं तो क्या, भावना तो उनमें भी हैं न..... 

एक जानवर, जिस पर हम दिन भर में एक बार तो टिप्पणी कर ही डालते हैं, वह है भैंस। जिसकी लाठी, उसकी भैंस; अक्ल बड़ी या भैंस; गई भैंस पानी में; भैंस के आगे बीन बजाना; काला अक्षर भैंस बराबर और भी न जाने क्या-क्या। ताकत से अपना काम बना लेने वाले की तुलना भैंस से, शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि की अधिकता की तुलना भैंस से, बना बनाया काम बिगड़ने की तुलना भैंस से, निरर्थक काम की तुलना भैंस से, अनपढ़ की तुलना भैंस से, मुझे आज तक समझ नहीं आया कि भैंस ने इंसान का बिगाड़ा क्या है। दैनिक जीवन में गाय से अधिक मात्रा में भैंस के दूध का सेवन करता है, यह देखते हुए मुझे यह कहने में ज़रा भी संकोच नहीं है कि जिस थाली में खाता है, उसी में छेद करता है इंसान। 

ज़रा सोचिए, हम और आपकी तरह यदि ये बेज़ुबान भी बोल पाते और बदले में इंसान को कुछ यूँ उपाधि दे जाते कि काला अक्षर इंसान बराबर, तो कैसा जान पड़ता। एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को कोई अनपढ़ कहेगा, जो ज़रा सोचकर देखिए कि कैसा लगेगा। नज़दीक से मदमस्त गुजरती भैंस यदि आपको बेवजह कहती हुई निकल जाती कि भाई! ज़रा बताना, अक्ल बड़ी या इंसान। मुझे तो लगता है कि हमारे क्रोध का तो ज्वालामुखी ही फूट पड़ता। 

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद; अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे; हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और; ऊँट के मुँह में जीरा; घोड़ा घास से दोस्ती करेगा, तो खाएगा क्या; अपना उल्लू सीधा करना; घोड़े बेचकर सोना; अपने मुँह मियाँ मिट्ठू; अक्ल के घोड़े दौड़ाना; नाक पर मक्खी न बैठने देना; धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का; कुत्ते की दूम, टेढ़ी की टेढ़ी; मगरमच्छ के ऑंसू बहाना; अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है; कुत्ते को घी हजम नहीं होता और भी न जाने कितने ही मुहावरे हैं, जो बेज़ुबानों को इंसान से नीचे दिखाने का काम करते हैं। 


इंसान हमेशा अपने से कमजोर पर ही आज़माइश करता है। मैं ऐसा मानता हूँ कि इंसान के अलावा दिखावा करने का अवगुण किसी में नहीं होता है, फिर भी हाथी को बदनाम कर रखा है यह कहकर कि उसके खाने के दाँत और है व दिखाने के और। मेरे मायने में तो मगरमच्छ के आँसू मुहावरे में भी फेरबदल करने की जरुरत है, क्योंकि इंसान से अधिक दिखावटी आँसू मुझे नहीं लगता कि कोई अन्य प्राणी बहाता होगा। 

जाने-अनजाने में एक इंसान के मुँह से किसी दूसरे इंसान के लिए अपशब्द निकल जाते हैं, तो वह रौब झाड़ते हुए यह तो कह ही देता है कि तू जानता है मैं कौन हूँ। लड़ाई-झगड़ा कर या कॉलर पकड़कर उसे इस बात का एहसास तो दिला ही देता है कि उस शख्स ने गलत किया है। खुद को सबसे ऊपर समझने वाले इंसान को देखते हुए मैं तो कहता हूँ कि अच्छा ही हुआ जो प्रभु ने इन जानवरों को जुबां नहीं दी, नहीं तो उनके लिए हमारे द्वारा अपशब्दों का प्रयोग किए जाने पर जब वे अपनी ताकत की आज़माइश हम पर करते न, तो तमाम मुहावरे उनके चार पैरों के नीचे कुचल जाते। यकीन मानिए उनके पास जुबां नहीं है, लेकिन वे समझते सब हैं। तो कोशिश करें कि अपनी बात को वजनदार बनाने के लिए अन्य प्राणी को नीचे न गिराएँ।

Popular posts
जनता को अपना परिवार समझने पर
Image
*शाकाहारी नशामुक्त बनो, बीमारियों से बचो- संत बाबा उमाकान्त जी महाराज*
Image
*भगवान कृष्ण उज्जैन सेभगवान कृष्ण उज्जैन से ही श्री कृष्ण बनकर गए थे- मुख्यमंत्री डॉ यादव ही श्री कृष्ण बनकर गए थे- मुख्यमंत्री डॉ यादव उज्जैन । भगवान कृष्ण उज्जैन में बालक के रूप में शिक्षा लेने आए थे और यहां पर 64 कलाएं उन्होंने सीखी और उन्हें सुदर्शन चक्र मिला इसी सुदर्शन चक्र से उन्होंने बाद में धर्म की स्थापना की इसलिए उज्जैन की नगरी से जो बात उठती है वह धर्म की स्थापना करती है । मनोरमा परिसर में भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित नमो युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहीं । उन्होंने कहा उज्जैन में शिक्षा ग्रहण करने के बाद भगवान कृष्ण श्री कृष्ण बने और एक और राजा विक्रमादित्य हुए जिन्हें पूरे देश में न्याय के राजा के रूप में जाना जाता है वहीं 2000 साल पहले यहीं पर सम्राट अशोक अपनी युवावस्था में राजकुमार के रूप में राज्यपाल बनकर आए थे और जब वह यहां से गए तो चक्रवर्ती सम्राट बने । आप सब युवाओं को आने वाली 13 तारीख को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अनिल फिरोजिया को रिकार्ड मतों से विजयी बनाना है साथ ही हर युवा को अधिक से अधिक मतदान के लिए लोगों को मतदान तक लाना भी है । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्य ने कहा आप सब युवाओं की जिम्मेदारी है की ऐसी सरकार चुने जो राष्ट्र का निर्माण करती है जो राष्ट्रवाद की धारा को सदा प्रवाहित करती रहती है और सनातन धर्म की रक्षा करती है वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग इस देश में चुनाव लड़ रहे हैं जिन्होंने कुछ किया नहीं लगातार सनातन का विरोध करते है । एक ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं जिसका भारत के विषय में ज्ञान भी ठीक से नहीं है वहीं दूसरी ओर हमारे प्रधानमंत्री जिन्होंने पिछले 10 वर्षों में देश ही नहीं विश्व में भारत के मस्तक को ऊंचा किया है । सांसद प्रत्याशी अनिल फिरोजिया ने संबोधित करते हुए कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार प्रगति के पथ पर है और यह प्रगति का दौर हमेशा चला रहे इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को आप सब युवाओं को अच्छे मतों से जीताना है और 400 पार के संकल्प को पूरा करना है । कार्यक्रम में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव सिंह पवार, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, नगर अध्यक्ष विवेक जोशी, दिनेश जाटवा, युवा मोर्चा राष्ट्रीय महामंत्री रोहित चहल, कलावती यादव, युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष हर्षवर्धन सिंह कुशवाह, प्रदेश मंत्री अमय आप्टे, प्रदेश कोषाध्यक्ष जयंत राव गरुड़, राजेन्द्र भारती, विशाल राजोरिया , संजय अग्रवाल, सुशील वाडिया, श्रीपाल राजावत , दीपक नामदेव सहित युवा मोर्चा के कार्यकर्ता व नव मतदाता उपस्थित थे । (News Reporter Asif Khan.Ujjain)
Image
दरोगा हप्पू सिंह ने बटोरी नवरात्रि के उत्सव में दर्शकों से ढेर सारी प्यार की न्यौछावर!
Image
सीएम डॉ मोहन यादव ने बूथ पर मतदान पर्ची का वितरण किया
Image